“माझी लाडकी बहिन योजना” में रिश्वत लेने के मामले में, राज्य में एक राजस्व अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है।

राज्य की गरीब और जरूरतमंद महिलाओं के लिए मुख्यमंत्री लड़की बहिन योजना की शुरूवात की गयी है। और हाल ही में योजना के लिए आवेदन पत्र उपलब्ध कराने के लिए स्थानीय अधिकारी द्वारा रिश्वत मांगे जाने के आरोप लगे जिसमें राज्य के उत्पाद शुल्क मंत्री शंभुराजे देसाई ने जाँच करवायी और जाँच के बाद बुधवार को राज्य विधानसभा को बताया कि शिकायतों के बाद राज्य में एक तलाटी(राजस्व अधिकारी) को निलंबित कर दिया गया है।


योजना में आवेदन करने की प्रक्रिया 1 जुलाई से शुरू होकर 15 जुलाई तक समाप्त होने वाली थी। राज्य सरकार द्वारा अब समय सीमा बढाकर 31 अगस्त तक कर दी है।

1 जुलाई से प्रक्रिया शुरू होने के बाद से तलाटी कार्यालयों में आवेदन फॉर्म के लिए महिलाओं की बड़ी कतारें लगी हुई हैं। पर उन्हें बताया जा रहा था कि फॉर्म खत्म हो गए हैं और कुछ मामलों में फॉर्म की फोटोकॉपी के लिए 100 रुपये लिए जा रहे थे। इस मुद्दे को एनसीपी विधायक सुनील शेलके ने उठाया और आरोप लगाया की, ”योजना के लिए आवश्यक प्रमाणपत्रों के लिए भी पैसे की मांग की जा रही है।”
तब जवाब में उत्पाद शुल्क मंत्री शंभुराजे देसाई ने कहा, ”अगर कोई भी अधिकारी योजना के लिए पैसा मांगता है तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।” हालाकि वास्तव में जिला कलेक्टर द्वारा एक तलाटी को निलंबित कर दिया गया है।


देसाई ने कहा कि मुख्यमंत्री ने सक्त निर्देश दिये हैं कि योजना में आवेदन करने के इच्छुक लोगों के लिए सरकार विभिन्न क्षेत्रों में शिविर लगाए। लेकिन विपक्षी विधायकों द्वारा गम्भीर आरोप लगाए गये और उन्होंने यह तक कहा की राज्य की ग़रीब महिलाओं को धोखा देने के लिए सरकार ने इस योजना का दुरुपयोग कर रही है। साथ ही ऐसी क्लिपें भी वायरल हुई तलाटी को पैसे लेते देखा गया। कुछ मामलों में, तो यह तक देखा गया की कार्यकर्ताओं ने आवेदन पत्र में अपनी तस्वीरें भी लगा दी हैं। शरद पवार समूह के नेता जयंत पाटिल ने आरोप लगाया है की इस योजना द्वारा राज्य की महिलाओं को धोखा दिया जा रहा है।

मुख्यमंत्री माझी लाड़की बहिन योजना की घोषणा राज्य के बजट में की गई थी और यह मध्य प्रदेश सरकार की लाडली बहना योजना पर आधारित है। यह विवाहित, तलाकशुदा, विधवा, परित्यक्त और निराश्रित महिलाओं के लिए प्रति माह 1500 रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करता है, जिन महिलाओं की वार्षिक पारिवारिक आय 2.5 लाख रुपये से कम है और जो महाराष्ट्र राज्य में निवास करती हैं। ऐसे प्रत्येक परिवार से एक पात्र अविवाहित महिला को योजना का लाभ मिलेगा।


भाजपा द्वारा मध्य प्रदेश में इस योजना को सबसे पहले लाया गया था और वह इस योजना के काफ़ी अच्छे परिणाम देखे गये और महिलाओं के लिए काफ़ी मददगार साबित हुआ। और जिसका परिणाम भाजपा को इलेक्शन में देखने मिला। जिसको देखते हुए सरकार ने महाराष्ट्र में भी इस योजना को पारित किया है। इस योजना के लिए राज्य सरकार ने 46,000 करोड़ रुपए का आवंटन किया है। जो की एक बहुत बड़ी राशि है।

योजना के घोषणा के एक सप्ताह के अंदर ही सरकार द्वारा इस योजना को महिलाओं के लिए सुलभ बनाने के लिए कई बदलाव किए जा चुके हैं। जो दर्शाता है की सरकार इस योजना को लेकर काफ़ी सतर्क है।

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